Monday, August 2, 2010

ओबामा का नया कीर्तिमान

बराक ओबामा ने राष्ट्रपति पद जीतकर नया कीर्तिमान स्थापित किया है। इससे पूर्व उनका राष्ट्रपति का प्रत्याशी बनना ऐतिहासिक घटना थी। परन्तु अब भारी बहुमत से चुनाव जीतकर उन्होंने एक नहीं अनेक रेकॉर्ड (कीर्तिमान) स्थापित किये हैं। ओबामा प्रथम अफरीकन - अमेरिकन (काले) राष्ट्रपति हैं। ओबामा ने सर्वाधिक मत पाकर जीत हासिल की है। ओबामा को ३४९ (चुनावी मत) एवं मकैन को १६२ (चुनावी मत) मिले हैं। लोकप्रिय मत में भी ओबामा को ५२% एवं मकैन को ४६% मत मिले हैं। यूं तो आंकड़ो की लम्बी श्रंखला है परन्तु यदि हम इनका सूक्ष्म निरिक्षण करें तो खुद चौकानें वाले तथ्य सामने आते हैं। अमेरिका में वर्ष १९७४ में ९०% मतदाता श्वेत थे परन्तु २००८ में मात्र ७४% मतदाता श्वेत रह गये। इनकी जनसँख्या तेजी से घट रही है और अन्य रंग के लोग अधिक से अधिक अमेरिका में बस रहे हैं। इस चुनाव में ७४% श्वेत, १२% काले, ९% स्पनिश एवं ५% अन्य जैसे एशियाई मतदाता थे। महिलाओं ने ओबामा के पक्ष में अधिक मत डाले हैं। ४९% पुरुषों ने ओबामा को मत दिए तो ५६% महिलाओं ने ओबामा के पक्ष में मतदान किया। अन्य प्रमुख आंकड़ों के अनुसार ४३% श्वेत मतदाताओं ने ओबामा को अपना समर्थन दिया। परन्तु ९५% काले, ६७% स्पैनिश एवं ६२% एशियाई लोगों ने ओबामा के पक्ष में वोट डाले।

कुल मतदाताओं की सूची में से ६६% मत ओबामा के पक्ष में एवं ३१% मकैल को मिले। युवा मतदाताओं ने ओबामा को बढचढ कर अपना समर्थन दिया। १८ वर्ष से ३० वर्ष के ६६% मतदाताओं ने ओबामा के समर्थन में मतदान किया ५० हज़ार डॉलर से कम आय वाले ६०% मतदाताओं ने ओबामा को समर्थन दिया। दूसरी ओर धनी वर्ग में ४९% मत ओबामा को मिले। इस बार युवा मतदाताओं (जिन्होंने प्रथम बार मतदान किया) ने ६९% मत ओबामा के समर्थन में डाले। जबकि मकैन को मात्र ३०% मत ही मिले।

उपरोक्त आंकड़ों से कुछ बातें तो स्पष्ट हैं, अमेरिका में श्वेत प्रजाति की संख्या घट रही है। पहले काले लोग चुनाव में अधिक भाग नहीं लेते थे। उनके अनुसार कोई भी जीते, उनकी स्थिति तो निराशाजनक ही रहनी है। परन्तु इस बार गाँव-गाँव से भारी संख्या में युवा-वृद्ध काले लोग ओबामा के समर्थन में बाहर निकले। इस चुनाव में हमने उन्हें सर्वत्र छाए हुए देखा। विश्वविद्यालयों के परिसरों में चुनाव की विशेष रौनक थी। बहुसंख्या में युवा मतदाताओं नें चुनावी प्रचार का गढ़ विश्वविद्यालयों को बनाया।

वर्त्तमान अमेरिका की गिरती-खस्ता आर्थिक हालत ओबामा की जीत का प्रमुख कारण बनी। पिछले आठ वर्षों से बुश के कार्यकाल में आर्थिक स्तिथि का जो पतन हुआ है उसने देश को १९२८ के ग्रेट डिप्रेशन के निकट लाकर खड़ा कर दिया है। चुनाव में ६९% लोगों ने अर्थिक स्थिति के कारण ओबामा को वोट दिया। १०% मतदातों के लिए इराक का युद्ध कारण बना एवं ९% लोग आतंकवाद से आतंकित थे। इस चुनाव से यह स्पष्ट हो गया है की युवा अमेरिकेन पीढ़ी के लिए आर्थिक स्थिति चर्च एवं धर्म की नीतियों से अधिक महत्त्वपूर्ण है।
आरम्भ में ओबामा की पारिवारिक प्रष्ठभूमि पर बहुत चर्चा हुई। परन्तु ओबामा ने अपने भाषण में स्वयं को न श्वेत माना न अश्वेत माना परन्तु स्वयं को सार्वभौमिक कि श्रेणी में रखा है। युवा पीढ़ी को उनका यह कथन, ओबामा का व्यक्तित्व बहुत रास आया। रंग बदलता अमेरिका इस बात का प्रमाण है की अब अमेरिकेन मानसिकता का भी रंग बदल रहा है। अब श्वेत अमेरिका रंग बिरंगा हो रहा है। व्हाइट हाउस में काले राष्ट्रपति एवं उनका परिवार वास करेगा।

ओबामा का राष्ट्रपति बनना अमेरिका के काले समाज एवं विश्व भर के काले समाज के लिए विशेष अर्थ रखता है। ओबामा के जीतने के समाचार के साथ अमेरिका के प्रत्येक काले व्यक्ति की आँखों में ख़ुशी के आंसूं थे। ओबामा के राष्ट्रपति पद जीतने स्वीकृति भाषण में पूरा काला समुदाय भावुक होकर रोया था क्या बड़ा क्या छोटा? अनेक बुज़ुर्ग लोगों को यह स्वप्न सा लग रहा था की उनके जीवन काल में एक गुलाम का वंशज अमेरिका का राष्ट्रपति बनेगा। अफ़्रीकी देशों के लोग भी अपने में से एक को विश्व के सर्वशक्तिमान प्रजातंत्र के सर्वोच्च पद पर देखकर अति प्रसन्न हैं।

ओबामा की जीत की ख़ुशी में वाशिंगटन डी सी के अब्राहम लिंकन मेमोरीयल पर एक विशालकाय कार्ड पर अमेरिका वासियों ने बधाई सन्देश लिखे थे। इस अवसर को साक्षी बनाने के लिए तीन-तीन पीड़ी एक साथ मेमोरियल पर पहुची थी। पहले दिन ही ६० हज़ार हस्ताक्षर हो गए थे। २० जनवरी २००९ को राष्ट्रपति ओबामा शपथ ग्रहण करेंगे। इस समारोह में भाग लेने के लिए वाशिंगटन डी सी के पांच सौ मील की सीमा के सब होटल २४ घंटो के भीतर आरक्षित करा लिए गए।

अमेरिका के काले समुदाय को सदियों से दासता, गरीबी, पूर्वाग्रह, भेदभाव, कुंठा एवं अकेलापन झेला है। सैंकड़ो वर्ष की गुलामी, गृह युद्ध, दासता से मुक्ति के लिए संघर्ष, हैरियट जैसे स्वतंत्रता सेनानियों को यातनाएं, भेदभाव के चरम सीमा जैसे अलग बाथरूम, अलग रेल में सीट, वोट ना देने का कानून, रोजा पार्क जैसी महिला की लड़ाई, मार्टिन लूथर किंग की असमय हत्या एवं अमेरिका के प्रमुख समाज द्वारा काले समाज को ना स्वीकारना ... इस समाज की त्रासदी की लम्बी सूची है। काले समुदाय में शिक्षा का अभाव रहा है, गरीबी अधिक रही है एवं अपराध भी इस समाज में अधिक होते हैं। निम्न मध्यम वर्ग का काला व्यक्ति नगर के उजड़े इलाके, गंदगी पूर्ण छोटे-छोटे घरों में रहता है। काले समाज में प्रभावकारी नेतृत्व का भी आभाव रहा है। काले समाज में जिन लोगों ने सफलता प्राप्त की है वह अधिकतर संगीत, नाच एवं खेल के शेत्र में रही थी। ये लोग स्वयं ही भ्रष्टाचार, दुराचार, व्यसन एवं अपराधिक वृतियों के शिकार रहे हैं। अतः मुहम्मद अली, माइकल जैक्सन, माइक तिएसुं एवं मगिक जोनसन जैसे लोग काले युवा समाज का रोल मॉडल नहीं बन सके। इन लोगों ने युवा मन को शिक्षा से दूर किया उन्हें फैशन, नाचना, खेल, शराब एवं दृग्स की ऑर आकृष्ट किया है। राजनीति में कुछ काले नेता उभरे हैं परन्तु वो आम काले समाज पर सकारात्मक प्रभाव नहीं दाल सके।

परन्तु बराक ओबामा की और यह समाज कुछ अधिक अपेक्षा से देख रहा है। ओबामा एक आम, औसत वर्तमान समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं। काले समाज में अधिकांशतः परिवार में बच्चों का पालन-पोषण माँ करती है, पिता अनुपस्थित रहते हैं। बराक ओबामा के जीवन में पिता का अभाव रहा है, सौतेले पिता भी कम समय उनके जीवन में रहे हैं। उन्हें माँ और नाना-नानी ने पाला है। अभाव में रहकर ओबामा ने पढाई की एवं होवर्ड विश्विद्यालय से कानून की डिग्री प्राप्त की है। होवर्ड विश्विद्यालय अमेरिका का सर्वश्रेष्ट्र विश्विद्यालय है। शिकागो में उनकी खासी वकालत जमी हुई है। इसके बाद राजनीति में प्रवेश प्रवेश किया, वर्षो सैन्टर रहे हैं। ओबामा अपनी सुयोग्य पत्नी एवं बेटियों के साथ ज़िम्मेदार एवं आदर्श जीवन बिता रहे हैं। उनमे कोई अवगुण एवं व्यसन भी नहीं है। किसी प्रकार का कोई अपवाद उनके साथ नहीं जुडा हुआ है। ओबामा सही मायने में काले युवा वर्ग के आदर्श बन सकते हैं।

काले समाज ने अपनी असफलता एवं पिछड़ेपन के लिए अन्य वर्ग को दोषी ठहराया है। पिछले दिनों एक युवक ने सही कहा था, "अब काले युवक-युवती के सामने ओबामा का आदर्श है, जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों से ऊपर उठकर अपनी मेहनत एवं योगता के बल पर राष्ट्रपति पद प्राप्त किया है। अब हमारे समक्ष सफल न होने के लिए कोई शमा नहीं है।"

- रेनू 'राजवंशी' गुप्ता

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